Monday 8 August 2016

****विश्वाची ****

प्रिय विश्वाची
तेरे आने की आहट से, जगमग ये संसार हुआ।
नवल- धवल सी आशाओं से, स्वप्न मेरा साकार हुआ।
तुम जब आयी इस धरती पर, नवयुग का उद्गार हुआ।
प्यारी प्यारी आँखों में जब, देखा स्वप्न साकार हुआ।
तेरी जिद् शैतानी देखकर, कभी ये मन परेशान हुआ।
फ़िर भी तेरी हर अदा पर, मन बार बार बेचैन हुआ।
तुम हो राज़ दुलारी माँ की, पापा के मन अभिमान हुआ।
दीदी से है प्यार तुम्हें,पर झगड़ा भी हर बार हुआ।
यूँ ही जग में नाम करो, विश्वास यही हर बार हुआ।
तेरे जन्म- दिवस पर क्या दे, अब यही मेरा उपहार हुआ
तनुजा

No comments:

Post a Comment

एक अजनबी हसीना से

 Learn to pronounce एक अंजनबी हसीना से ... झील सी आंखों मे उसकी डूब के यूँ रह गया  जुल्फों के साए में कहीं खो गया झीलजैसे चेहरे पर चं...