Wednesday 22 July 2015

**********''’''वो दिन वो पल्छीन '""""**********


लो आया वो दिन फ़िर नयी सी ख्वाहिश ले कर
जो बीता चले हम एक साथ कुछ यादें जी कर
वो लम्हे वो पलछीन हमे बरसो
याद आयेंगे
उस खुशी का हमेशा एहसास. दिलायेंगे कुछ गुदगुदा कर
याद करेंगे जब वो गीत जो हमे गये
आँखें छलक पड़ेंगी वो नम आँखें याद कर
वो हंसना तेरा वो पलके उठा कर देखना तेरा वो मुस्कुराकर बात टालना वो ठहाको में ग़म को दबना वो नज़रो का एक टक देख्ते रहना
दबे पैरों तले ये यादें रुलायेंगी छल कर
दिन महीने साल यूँ ही गुज़र जायेंगे पर वो दिन वो पल यू हीं
यहीं रेह जायेंगे रुककर
याद है जब हमने मुहँ मीठा किया अपने जश्न ए दोस्ती का
वो मीठा पन आज भी है इस लहू मे घुलकर
फ़िर आ गयी याद वो विरह की बेला जब हमने किया इस रात को रुख़सत एक टक तुम्हे जाते हुए देख्कर
मत भुलाना ये दिन ये पल्छीन
क्युँकी ये फ़िर आयेगा हमे मिलाने पलटकर.....

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