Wednesday 15 July 2015

**************सुहानी याद****************

बारिश की झडी लगी है कहती हम से वही कडी है
वो बचपन की यादे ढूॅढे 
जिनमे भिगे भागे घूमे 
वो मिलने के सपने देखे
जिनमे खो जाने को मचले
बहुत पुरानी याद पडी है
बारिश की फिर झडी लगी है
कितने सावन बिते तुम बिन
कितने तुम संग साथ बिताये
बूंद पडे जब इस तन पर तो
बहला जाये मन ये गाये 
मनलुभावन ये वो घडी है
बारिश की फिर झडी लगी है
गुमसुम गुमसुम गुपचुप गुपचुप
उसकी आहट दिल तक आये
हमने पल जो साथ बिताये
पलक झपकते बह वो जाये
जैसे बारिश गिरती जाये 
बडी सुहानी याद पडी है
देखो बारिश की फिर वो झडी लगी है

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