Wednesday 22 July 2015

***********बयां ***************

हसरतें इतनी न बढ़ा की कदम रुक न सके 
ये सोच कुछ कहने से पहेले हम रुक जाते है 
आलम ऐ जिक्र न कर की  जब गुफ्तगू ना हो 
ये ही सोच कर तेरी तरफ खिचे चले आते हैं ..............

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