गुरु बिन ज्ञान नहीं आधार
नहीं
“गुरुर्ब्रह्मा माने
गुरु जो करती सृजन हमारा उस ब्रम्हा रूपी गुरुवर को नमन”
“गुरुर्विष्णुः माने
गुरु जो करते है हमारे अवगुण का नाश उस विष्णु रूपी गुरु को प्रणाम”
“गुरुर्देवो माहेश्वर
माने गुरु जो देते है अपार स्नेह और वरदान ज्ञान के रूप में ऐसे शिव रुपी गुरु को
वंदन”
“आज जो पाया इस जीवन में गुरु की कृपा से पग पग में
हम बढ़ें जिंदगी में कुछ करें यह ज्ञान मिला उनके चरणों में
सूरज के उजियारे जैसा तेज़ है उनके चेहरे में
ऐसे गुरुवर गुनी जनो का आशीर्वाद है मेरे जीवन में
मिटटी के ढेर को आकार दिया ज्ञान भरा अन्तः मन में
दिया बहुत कुछ गुरु ने हमको ये पुस्फ करूँ मैं अर्पण उनके
चरणों में”